अयोध्या-मथुरा-काशी की यात्रा कर सकुशल लौटा घुमन्तु समाज का जत्था|

अयोध्या-मथुरा-काशी

राम लला-कृष्ण जन्म भूमि के पहली बार किए दर्शन |
यमुना नदी में लगाई आस्था की डुबकी, किया पितृ तर्पण |

जयपुर। घुमंतु तीर्थ योजना के अंतर्गत घुमंतु जाति उत्थान न्यास-जयपुर महानगर के बैनर तले पिछले दिनों अयोध्या-मथुरा-काशी की यात्रा के रवाना हुआ सौ यात्रियों का जत्था सोमवार सुबह सकुशल जयपुर लौट आया। जयपुर पहुंचने पर तीर्थ यात्रियों का स्वागत किया गया। अयोध्या-मथुरा-काशी की तीर्थ यात्रा कर सभी यात्री ऊर्जावान और प्रसन्न लग रहे थे। सभी यात्रियों ने सबसे पहले राम घाट पर सरयू नदी में स्नान किया।

इसके बाद कारसेवकपुरम् होते हुए राम लला के दर्शन किए। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के बाल स्वरूप के दर्शन कर सभी यात्रियों के चेहरे खिल गए। मथुरा में यमुना नदी में स्नान कर यात्रियों ने दिवंगत पितरों के निमित्त तर्पण किया। कृष्ण जन्म भूमि के दर्शन कर वृंदावन बिहारी लाल की झांकी को निहारा।

जत्थे में शामिल गायत्री चेतना केन्द्र मुरलीपुरा के मनोज पारीक ने मार्ग में यात्रियों को गायत्री महामंत्र का जाप और हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ कराकर बसों का वातावरण धार्मिक बनाए रखा। घुमंतु जाति उत्थान न्यास-जयपुर महानगर प्रमुख राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में हरिद्वार और ऋषिकेश की तीर्थ यात्रा करवाई जाएगी।

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अयोध्या-मथुरा-काशी तीर्थ यात्रियों ने सुनाए अनुभव:

 जयपुर तीर्थ यात्रियों  लौटने पर उनके परिजनों ने स्वागत किया। आकेड़ा डूंगर निवासी कृष्ण नायक ने बताया कि घुमंतु समाज के लोगों ने कभी भी नहीं सोचा था कि इतनी सुविधाओं के साथ बिना एक रूपया खर्च किए तीर्थ यात्रा हो सकती है। लोहा मंडी स्थित शीतलदास महाराज ने कहा कि घुमंतु समाज की इतनी अधिक चिंता किसी भी संगठन या संस्था ने नहीं कि जितनी कि घुमंतु जाति उत्थान न्यास ने की। बिना किसी स्वार्थ के न्यास के लोगों ने तीर्थ यात्रा करवाई। शांता कालबेलिया ने कहा कि यात्रा में कभी नहीं लगा कि मैं परिवार से दूर हूं। चेतन कौशिक, महेन्द्र ज्योतिषि,, किरण, मनोज कुमार ने कार्यकर्ता के रूप में हम सबका पूरा ध्यान रखा।

मानसून के बाद कराएंगे हवन: अयोध्या-मथुरा-काशी की यात्री

उल्लेखनीय है कि राजधानी की घुमन्तु बस्तियों में पिछले दिनों अपनी बस्ती अपना हवन अभियान के अंतर्गत अखिल विश्व गायत्री परिवार के माध्यम से नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन करवाए गए थे। मानसून में बाद यज्ञ की श्रृंखला पुन: शुरू की जाएगी। राजधानी की 108 घुमन्तु बस्तियों में हवन करवाना प्रस्तावित है।

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